दुष्कर्म मामले में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। जिसमें आरोपी ने अपनी दलील में कहा था कि उसने लड़की की सहमति से उसके साथ संबंध बनाए थे। जस्टिन जसमीत सिंह ने जमानत खारिज करते हुए कहा कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए नाबालिक की सहमति कानून की नजर में सहमति नहीं है। कहीं आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा- मेरा मानना है कि घटना के दिन लड़की की उम्र महज 16 साल थी। आरोपी की उम्र 23 साल थी और वह पहले से ही शादीशुदा था। आरोपी ही लड़की को एसडीएम ऑफिस ले गया। उसने 2002 से आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि बदलकर 5 मार्च 2000 करवा दी ताकि वह यह साबित कर सके कि जिस दिन उसने शारीरिक संबंध बनाए वह नाबालिग नहीं थी।
जानकारी के मुताबिक पीड़ित लड़की के पिता ने 2019 में बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस यूपी के संभल जिले से लड़की को ढूंढकर उसे वापस ले आई थी। लड़की आरोपी युवक की कंपनी में थी। लड़की ने मजिस्ट्रेट को बताया था कि आरोपी उसका बॉयफ्रेंड है और वह उसके साथ करीब डेढ़ महीने तक रही। उसने कोर्ट को यह भी बताया कि उसने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए हैं क्योंकि वह उसके साथ रहना चाहती है। आरोपी ने इसी आधार पर कोर्ट से जमानत मांगी कि वह 2019 से हिरासत में है।