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Home चंडीगढ़

47वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन का शानदार शुभारंभ शहर में

सम्मेलन के दूसरे दिन शास्त्रीय संगीत गायिका रुचिरा केदार और शास्त्रीय संगीत गायक पंडित ईमान दास श्रोताओं को अपनी गायन प्रस्तुति देंगे

September 20, 2025
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47वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन का शानदार शुभारंभ शहर में

चंडीगढ़: इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से सेक्टर 26 स्थित स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल के सभागार में तीन दिवसीय 47 वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के पहले दिन एक ओर जहां रमणा बालाचंद्रन ने श्रोताओं के समक्ष कर्नाटिक परंपरा में वीणा वादन प्रस्तुत कर कर्णप्रिय लहरियों से समां बांधा, वहीं दूसरी ओर पंडित रामकुमार मिश्रा ने उत्तर भारतीय तालवाद्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, तबला पर कर्नाटक व वाद्यकारों के साथ परकशन एन्सेम्बल प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब प्रसंशा बटोरी। शास्त्रीय संगीत की इस अनूठी संध्या में दर्शकों को तालवाद्यों और सुरों का अद्भुत संगम सुनने को मिला। कार्यक्रम से पूर्व इंडियन नेशनल थिएटर के प्रेसिडेंट अनिल नेहरू व मानद सैक्रेटरी विनीता गुप्ता ने सभी संगीत श्रोताओं का स्वागत किया। सम्मेलन में पधारे विशेष अतिथि स्वामी भीतिहरानंद जी (रामकृष्ण मिशन, चंडीगढ़ आश्रम) और स्वामी विनिर्मुक्तानंद जी महाराज (श्रीनगर आश्रम) ने कलाकारों को सम्मानित किया।

यह मोहक संध्या की शुरुआत रामना बालाचंद्रन की आत्मीय वीणा वादन प्रस्तुति से हुई, जिसने कर्नाटिक परंपरा के सुरों में जादू बिखेर दिया। उन्होंने आरंभ किया “ब्रोवा भरमा” से, जो राग बहुदारी, आदि ताल में संत त्यागराज की एक कालजयी रचना है। इसके बाद प्रस्तुत किया गया प्रेरणादायी रागम-तालम-पल्लवी (आरटीपी) राग आभोगी में, जो उनकी मौलिक रचना थी और उनके गहन कौशल व रचनात्मकता का परिचायक बनी। संध्या आगे बढ़ी भावपूर्ण “तेजोनिधि लोहागोल” के साथ, जिसे पुरुषोत्तम दारव्हेकर ने रचा और पं. जितेंद्र अभिषेकी ने सुरों में पिरोया। कार्यक्रम का समापन हुआ गहन आध्यात्मिकता से ओतप्रोत “नाम जाप” के साथ, जो राग पटदीप में गाया गया एक निर्गुण भजन था, जिसने श्रोताओं को शांति और भक्ति की गहराई में डूबो दिया। रमणा बालाचंद्रन प्रस्तुति के दौरान कुचिभोटला साई गिरिधर, मृदंगम पर, चंद्रशेखर शर्मा, घटम पर, जी. गुरु प्रसन्ना, खंजीरा पर बखूबी संगत की।

रमणा बालाचंद्रन एक विलक्षण वीणा वादक हैं, जिनकी ख्याति भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। वे कर्नाटक राग-केन्द्रित संगीत प्रस्तुत करते हैं, जिसमें मनोधर्म और सहजता का अनोखा संगम दिखाई देता है। उनके कार्यक्रमों में रागम-तानम-पल्लवी की जटिलताओं का विशेष स्थान होता है। गायन और वादन दोनों में दक्ष होने के कारण वे अपने प्रस्तुतिकरण में “वॉको-वीणा” का अद्भुत अनुभव कराते हैं, जिससे रचनाओं का भाव और भी गहराई से उभरता है। आज वे सबसे कम उम्र के प्रमुख वीणा वादक के रूप में देश-विदेश के मंचों पर सराहे जाते हैं सिर्फ 16 वर्ष की आयु में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण की और सीधे ‘ए ग्रेड’ कलाकार घोषित किए गए। यह सम्मान ऑल इंडिया रेडियो के 75 वर्षों से अधिक के इतिहास में बहुत कम कलाकारों को मिला है।

रमणा बालाचंद्रन के वीणा वादन प्रस्तुति के पश्चात् शास्त्रीय संगीत की इस अनूठी संध्या में दर्शकों को तालवाद्यों और सुरों का अद्भुत संगम सुनने को मिला। कार्यक्रम में श्री कुचिभोटला साई गिरिधर ने मृदंगम पर अपनी प्रस्तुति दी, वहीं चंद्रशेखर शर्मा ने घटम की मधुर थाप से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। जी. गुरु प्रसन्ना ने खंजरी की लयकारी से वातावरण को जीवंत बनाया। इसी क्रम में रामकुमार मिश्रा ने तबले की मनभावन तालों से दर्शकों का मन मोह लिया। विनय मिश्रा ने हारमोनियम पर मधुर संगति प्रस्तुत करते हुए इस सामूहिक प्रस्तुति को और भी प्रभावशाली बना दिया।

इन सभी कलाकारों ने जब एक साथ मंच साझा किया तो वातावरण में मानो संगीत की गंगा बह निकली। मृदंगम, घटम और खंजरी की लयकारी, तबले की गहराई और हारमोनियम के मधुर स्वरों ने श्रोताओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा का अद्भुत अनुभव कराया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इन कलाकारों का उत्साहवर्धन किया और इस प्रस्तुति को लंबे समय तक याद रखने योग्य बताया। कार्यक्रम के अंत में विनीता गुप्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल एक संगीत प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की विविधता और उसके अनंत सौंदर्य का उत्सव है। मंच का सचांलन अतुल दुबे ने किया।

 

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