चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने विवादों में घिरी लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस ले ली है। इस संबंध में पंजाब सरकार के हाउसिंग और अर्बन डेवलपमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने लेटर जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि 14 मई 2025 को लाई गई पंजाब लैंड पॉलिसी और इससे जुड़े अमेंडमेंट्स को विड्रॉ किया जा रहा है। इस पॉलिसी के तहत जारी लेटर ऑफ इंटेंट (LOI), रजिस्ट्रेशन और किसी तरह के अन्य कार्य वापस लिए जाते हैं। इस मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पंजाब सरकार को चेतावनी दी कि वह पॉलिसी वापस लें वर्ना कोर्ट उसे रद्द कर देगी। हालांकि पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पॉलिसी किसानों को पसंद नहीं आई। इसी कारण पॉलिसी हमने वापस ले ली है। बता दें कि पंजाब के किसान लगातार इस पॉलिसी का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि इस पॉलिसी के जरिए सरकार उनकी जमीन को हड़पना चाहती थी।
CM ने खुद पॉलिसी को लेकर लोगों से फीडबैक लिया
CM भगवंत मान 2 दिनों से अपने विधानसभा हलके के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने खुद लोगों से पॉलिसी को लेकर फीडबैक लिया था। इसके बाद इस दिशा में यह कदम उठाया है। क्योंकि कुछ समय पहले सीएम के हलके में भी इसका विरोध हुआ था। जगह-जगह आम आदमी पार्टी के नेताओं की एंट्री रोकी जा रही थी।
मान सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी क्या थी
पंजाब में लैंड पूलिंग पॉलिसी सबसे पहले 2011 में अकाली सरकार के कार्यकाल में लागू हुई थी। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार और फिर मौजूदा मान सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए इसे आगे बढ़ाया। जून 2025 में पंजाब कैबिनेट ने इस पॉलिसी के नए संस्करण को मंजूरी दी। इस पॉलिसी के तहत प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में जमीन अधिग्रहित कर इंडस्ट्रियल, कॉमर्शियल और रिहायशी सेक्टर विकसित किए जाने थे। जमीन मालिकों को मुआवजा राशि के बजाय, उनकी जमीन के अनुपात में उसी क्षेत्र में कॉमर्शियल और रिहायशी प्लॉट दिए जाने थे।
इन जगहों पर जमीन एक्वायर की जानी थी
पॉलिसी के तहत अर्बन एस्टेट मोहाली, रूपनगर, राजपुरा, फतेहगढ़ साहिब, समराला, जगराओं, पटियाला, संगरूर, बरनाला, बठिंडा, मानसा, मोगा, फिरोजपुर, नवांशहर, जालंधर, होशियारपुर, सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला, फगवाड़ा, नकोदर, अमृतसर, गुरदासपुर, बटाला, तरनतारन और पठानकोट में जमीन एक्वायर की जानी थी।