समर वेकेशन के समापन में अब केवल 10 दिन शेष बचे हैं, और हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की भीड़ काफी बढ़ गई है। खासकर मनाली, रोहतांग पास, अटल टनल, भरमौर, डलहौजी और सोलन के कसौली जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल टूरिस्ट्स से अटे पड़े हैं। इससे होटलों में शुक्रवार को ही 50 से 95 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी हो गई। साथ ही बड़ी संख्या में टूरिस्ट व्हीकल आने से ट्रैफिक जाम के साथ पार्किंग में भी परेशानी हो रही है। आज (शनिवार) और कल (रविवार) वीकेंड होने की वजह से इस परेशानी में इजाफा होने की उम्मीद है। होटल्स में भी 80 से 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी होने की उम्मीद कारोबारियों ने जताई है।
1. कसौली : सेटर-डे और संडे को होटल पूरी तरह पैक सोलन जिला का सबसे मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन कसौली है। यह चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब से सटा क्षेत्र है। इस वजह से यहां ज्यादातर वक्त टूरिस्ट की भीड़ रहती है। कसौली के होटेलियर राजेंद्र चौपड़ा ने बताया कि शुक्रवार शाम तक यहां 95 से 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी हो गई है। सेटर-डे और संडे को कसौली के होटल पूरी तरह पैक है।
- ट्रैफिक का हाल : चंडीगढ़-शिमला फोरलेन से टूरिस्ट को पहले धर्मपुर तक आना होता है। धर्मपुर से करीब 12 किलोमीटर गड़खल रोड पर कसौली पड़ता है। मगर यहां, इस बार टूरिस्ट को ट्रैफिक जाम रोजाना परेशान कर रहा है। गड़खल के साथ दो किलोमीटर सड़क पर पाइप दबाने की वजह से 20 मिनट के सफर में कई बार एक से दो घंटे लग रहे हैं। ऐसे में कसौली आने वाले टूरिस्ट को घर से पहले डेढ़ दो घंटा पहले निकलना चाहिए। यहां पर दोपहर बाद ज्यादा जाम लग रहा है।
- पार्किंग- कसौली के ज्यादातर होटल में पार्किंग की समस्या नहीं है।
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2. रोहतांग दर्रा और बारालाचा : होटल की सुविधा नहीं समर सीजन में रोहतांग दर्रा टूरिस्ट का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल बनकर उभरा है, क्योंकि यहां दो-तीन दिन पहले तक बर्फ थी। मगर, अब बर्फ पिघल रही है। इससे टूरिस्ट रोहतांग दर्रा से आगे बारालाचा पहुंचकर बर्फ देख रहा है। बर्फ देखने की चाहत रखने वाला टूरिस्ट मनाली से रोहतांग दर्रा और बारालाचा जाना नहीं भूलता। रोहतांग दर्रा से ज्यादा टूरिस्ट वापस मनाली लौटता है, क्योंकि यहां होटल की सुविधा नहीं है। कुछ टूरिस्ट लाहौल स्पीति जिले के अलग अलग ग्रामीण इलाकों में बने होम स्टे में भी जाता है।
- ट्रैफिक का हाल : मनाली से रोहतांग दर्रा की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। यहां पहुंचने में दो से ढाई घंटे का वक्त लग जाता है। वीकेंड पर यहां बीच बीच में ट्रैफिक जाम भी लग जाता है। अर्ली मॉर्निंग यात्रा कर ट्रैफिक जाम से बचा जा सकता है।
- पार्किंग- रोहतांग दर्रा और बारालाचा में पार्किंग सुविधा नहीं है। इसलिए टूरिस्ट सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करते है।
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3. कसोल : होटल्स में 70 प्रतिशत तक ऑक्यूपेंसी कसोल कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी में पड़ता है। प्रकृति और हरे भरे जंगल देखने की चाहत में टूरिस्ट कसोल पहुंचता है। यहां पर लोकल से ज्यादा इजराइल का टूरिस्ट अक्सर मौज-मस्ती करता है। कसोल के होटलों में 70 प्रतिशत तक ऑक्यूपेंसी हो गई है। आज और कल यहां 80 से 90 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी होने की उम्मीद है।
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ट्रैफिक का हाल : मनाली से कसोल की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। इसमें लगभग 3 घंटे का वक्त लग जाता है। कसोल पहुंचने के लिए पहले मणिकर्ण पहुंचना पड़ता है। टूरिस्ट चंडीगढ़-मनाली फोरलेन से पहले भुंतर तक आ सकते हैं। यहां से मणिकर्ण होते हुए कसोल पहुंचा जा सकता है। कसोल जाते वक्त मणिकर्ण में वीकेंड पर हल्का ट्रैफिक जाम लगता है। आम दिनों में जाम की समस्या नहीं रहती।
- पार्किंग- कसोल के होटलों में भी पार्किंग की सुविधा है। मगर यहां भी बाजार में पार्किंग में दिक्कत रहती है।
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4. शिमला : ऑक्यूपेंसी 80 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद हिल स्टेशन में शिमला टूरिस्ट का सबसे पसंदीदा स्टेशन है। शिमला के होटलों में शुक्रवार को लगभग 60 फीसदी ऑक्यूपेंसी है। आज और कल ऑक्यूपेंसी 80 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। मगर, अगले सप्ताह से शिमला के टूरिज्म में गिरावट हो सकती है, क्योंकि शिमला में मानसून की एंट्री हो गई है। राज्य के दूसरे हिस्सों में अभी मानसून नहीं पहुंचा। शिमला के होटलों में 1500 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए आसानी से कमरे मिल जाते हैं।
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ट्रैफिक का हाल : कालका-शिमला NH-05 से टूरिस्ट शिमला पहुंच सकता हैं। कालका से शिमला की दूरी लगभग 86 किलोमीटर है। निजी वाहन से कालका से शिमला के लिए ढाई से तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है। मगर, शिमला में ट्रैफिक जाम टूरिस्ट को परेशान कर सकता है। शिमला में बीते एक सप्ताह से ट्रैफिक जाम लोकल के साथ साथ टूरिस्ट को भी परेशान कर रहा है। आज भी शिमला में जगह जगह ट्रैफिक जाम लगा रहा। इसलिए शिमला आने वाले टूरिस्ट को सलाह दी जाती है कि जब आप शिमला से किसी दूसरी लोकेशन पर निकले तो एक घंटे पहले निकले। वीकेंड पर ट्रैफिक जाम ज्यादा परेशान कर सकता है। कच्ची घाटी से विक्ट्री टनल, हिमलैंड से लिफ्ट, विक्ट्री टनल से लक्कड़ बाजार, ढली टनल से ढली चौक के बीच ज्यादा ट्रैफिक जाम लग रहा है।
- पार्किंग- शिमला शहर में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। यहां ज्यादातर होटल में पार्किंग नहीं है। इसलिए टूरिस्ट को कई बार सड़क किनारे ही गाड़ियां पार्क करनी पड़ती है। शिमला में लिफ्ट के पास दो बड़ी पार्किंग है। यहां पर 3000 से ज्यादा गाड़ियां पार्क करने की सुविधा है।
5. डलहौजी : वीकेंड पर 80 प्रतिशत तक ऑक्यूपेंसी चंबा जिला का डलहौजी चंबा जिले का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है। यहां पंजाब का सबसे ज्यादा टूरिस्ट पहुंचकर प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाता है। डलहौजी के होटलों में 70 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी हो गई है। वीकेंड पर इसके 80 प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है। यहां 1000 रुपए से 8000 रुपए में कमरे किराए पर आसानी से मिल जाते हैं।
- ट्रैफिक का हाल : पठानकोट-भरमौर नेशनल हाईवे होते हुए टूरिस्ट डलहौजी पहुंच सकता है। यदि कोई टूरिस्ट पहले ही मनाली-शिमला इत्यादि जगह पर है तो वह नूरपूर-लाहड़ू-ककीरा-डलहौजी सड़क से डलहौजी जा सकता है। पठानकोट से डलहौजी की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। इस सफर में ढाई से तीन घंटे का वक्त लग जाता है। अच्छी बात यह है कि डलहौजी में ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं रहती।
- पार्किंग- डलहौजी में पार्किंग की समस्या नहीं है।