देश में दूध उत्पादन 17 करोड़ लीटर, सलाना खपत 64 करोड़ लीटर ?
देश में दूध मिलावट अगर रूक जाए तो देश के सात करोड़ डेयरी किसानों को होगा लाभ ?
सिंथेटिक दूध से कैंसर,ब्रेन हेमरेज, हार्ट अटेक और काला पीलिया जैसी फैलती हैं भयानक बिमारियां ?
चंडीगढ़/कुलदीप खंडेलवाल: देश में हो रहे भ्रष्टाचार, अपराध और गलत कामों को हम नही रोक सकते हैं तो शायद प्रदेश मे भी कहेंगे की हमारी पहुंच से दूर हैं पर हमारे आसपास या शहर मे हो रहे गलत कामों को तो हम रोक सकते हैं। यदि यह भी नही कर सकते हैं तो फिर फेसबुक, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर आकर लैक्चर देने का कोई मतलब नही बनता है। हम कुछ करें तभी जाकर हम बोले तो वजन रहेगा। मिलावटखोरों ने शहर की हवा को गंदी कर दी है ओर इनको राजनैतिक सरंक्षण मिला हुआ है। तभी तो इन दूध माफिया का कारोबार फल फूलने के साथ बुलंदियों पर है। शहर में राजनीतिक संरक्षण की वजह से दूध माफिया, घी माफिया ओर दूध से बनने वाली मिठाईयां मजबूत हो रहा है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि भारत इस समय हर साल 17 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है। ये आंकड़ें देखकर अच्छा तो लगता है लेकिन स्थिति तब भयावह हो जाती है जब पता चलता है कि देश में दूध की खपत तो 64 करोड़ लीटर सालाना हो रही है, यानि उत्पादन से लगभग 4 गुना ज्यादा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मांग की पूर्ति हो कैसे रही है। मतलब उत्पादन और खपत के बीच खेल हो रहा है। इस खेल में आपकी सेहत तो बिगड़ ही रही है, किसानों के फायदे पर भी बट्टा लग रहा है। पिछले 15 वर्षों से भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे है, सरकार इसे अपनी कामयाबी में गिनाती है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब, ये तीन प्रदेश दूध उत्पादन में सबसे आगे हैं। इस व्यवसाय से देश के सात करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। लेकिन इन्हें दूध की वो कीमत नहीं मिल पा रही जो मिलनी चाहिए, वजह मिलावटखोरी। वर्ष 2018 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलुवालिया देश में बिकने वाले करीब 68 प्रतिशत दूध और उससे बने उत्पादों को नकली बताया था और कहा कि यह उत्पाद भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। अहलुवालिया ने दूध और उससे बनने वाले उत्पादों में मिलावट की पुष्टि करते हुए कहा था कि सबसे आम मिलावट डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, ग्लूकोज, सफेद पेंट और रिफाइन तेल के रूप में की जाती है।
दूध में केमिकल से बच्चों में न्यूरो, मेंटल इलनेस, विकास की कमी और कैंसर जैस हो सकती है बीमारी ?
अहलूवालिया ने साफ किया कि सरकारी एजेंसियों की मिलीभगत और माफिया की साजिश के तहत देश में जहरीले दूध का कारोबार हो रहा है। लेकिन सरकार इस पर सख्ती करेगी, वरना आने वाले समय में लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारियां झेलनी पड़ सकती हैं. वह जगह-जगह जाकर जहरीले दूध के कारोबार को उजागर कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और उससे बना उत्पाद मिलावटी है या जहरीला है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने भी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया 2011 के सर्वे के आंकड़े के हवाले से पार्लियामेंट में इसकी पुष्टि की थी। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की वेबसाइट पर संयुक्त निदेशक दया शंकर की एक एडवाइजरी हाथ लगी। इसमें उन्होंने साफ लिखा है कि दूध और दूध उत्पादों की मांग आपूर्ति से बाहर होने पर त्योहार के मौसम में अक्सर मिलावट के मामले बढ़ जाते हैं। इस चिट्ठी में दूध में क्या क्या मिलाया जाता है, इसका भी जिक्र किया गया है। दूध में फैट दिखाने के लिए वेजिटेबल ऑयल और फैट का इस्तेमाल होता है। दूध को फटने से बचाने के लिए हाइपोक्लोराइड्स, क्लोरामाइंस, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, बोरिक एसिड का इस्तेमाल होता है। दही, पनीर, मक्खन और क्रीम बनाने में भी हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। तमाम केमिकल से बना ये नकली दूध सेहत के लिए कितना हानिकारक होता है, इसे लेकर हमने वरिष्ठ न्यूट्रीशियन डॉ. मंजरी चंद्रा से बात की उन्होंने बताया कि दूध में केमिकल की मात्रा ज्यादा होने पर नुकसानदायक होता है। अगर रोज इस तरह से केमिकल वाले दूध पीते हैं तो बच्चों में न्यूरो, मेंटल इलनेस, विकास की कमी और कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।
भोपाल की तरह हरियाणा मेंं भी मिलावटखोरों पर लगे रासूका ओर लगे जुर्माना ?
भोपाल की तरह हरियाणा में भी मिलावटखोरों पर कानूनी कार्यवाही हो जिस प्रकार से भोपाल के खाद्य सुरक्षा विभाग का विगत 5 माह की कार्रवाई का विवरण स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने जारी कि जिसमें बताया गया है कि अब तक 40 मिलावटी समान बेचने वालों के विरुद्ध रासुका लगाई गई है। वहीं 100 से अधिक खाद्य पदार्थो में मिलावट करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि अभियान में 10 हजार 793 से अधिक नमूनें जांच के लिये भेजे गए थे। विभिन्न लैब से 3 हजार 800 से अधिक जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई । 1400 से अधिक नमूने फैल पाए गए हैं जिनमें 835 प्रकरण संबंधित न्यायालयों में भेजे गए हैं। 4 करोड़ 56 लाख रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है। 24 करोड़ रुपये मूल्य की कीमत का दूषित मिलावटी समान की जब्ती की गई है। 25 लाख के दूषितपदार्थों को नष्ट कराया गया है।