हरियाणा के सरकारी विभागों में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने 1495 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी है। यह रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई। कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि किस तरह अफसरों की लापरवाही से सरकार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और इनकम टैक्स का जुर्माना झेलना पड़ रहा है। गेहूं को तुलवाने के लिए लाने-ले जाने में ही करीब पौने 3 करोड़ खर्च कर दिए गए। यही नहीं, आढ़तियों को तय रेट से ज्यादा कमीशन बांटा गया। ठेकेदारों को प्रोजेक्ट कॉस्ट से ज्यादा पेमेंट की गई। ई–टेंडरिंग से बचने के लिए तक उसकी अमाउंट में हेराफेरी की गई। सरकार की आपकी बेटी-हमारी बेटी स्कीम में डबल आवेदनों को नहीं हटाया गया और LIC से 15 करोड़ से ज्यादा की पेमेंट करा दी गई। फेल प्रोजेक्ट पर भी अधिकारी करोड़ों रुपए फूंकते रहे।
स्थानीय निकाय विभाग में 3 खामियां मिलीं
- पॉलिसी-प्लानिंग में 15 महीने की देरी की: कैग ने शहरी स्थानीय निकाय (ULB) विभाग में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर 2017-18 से 2021-22 का ऑडिट किया। इसके लिए 18 शहरी स्थानीय निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के डॉक्युमेंट की जांच की गई। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की पॉलिसी और प्लानिंग में 15 महीने की देरी की गई।
- कूड़ा बिना प्रोसेस डंप साइटों पर फेंका: वहीं, 2017 से लेकर 2022 के दौरान, टोटल सॉलिड वेस्ट 103.58 लाख टन बताया गया, जिसमें से 64.86 लाख टन अपशिष्ट (63%) बिना किसी प्रोसेस के डंप साइटों पर फेंक दिया गया।
- गुरुग्राम-फरीदाबाद निगम को 108 करोड़ से ज्यादा नुकसान: नगर निगम, गुरुग्राम ने नवंबर 2021 से मार्च 2022 तक सॉलिड वेस्ट के प्रोजेक्ट में देरी के लिए ₹4.92 करोड़ का कंपनसेशन नहीं लगाया। गुरुग्राम और फरीदाबाद में प्लान तय समय पर लागू न होने के कारण 108.93 करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इसमें NGT के बंधवाड़ी साइट पर लीगेसी वेस्ट का बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट न करने के लिए नगर निगम, गुरुग्राम पर 100 करोड़ का जुर्माना भी शामिल है।