हरियाणा का शिक्षा विभाग पढा लिखा नहीं है, यह साबित कर दिया है हरियाणा के शिक्षा विभाग ने एक स्कूल को मान्यता प्रदान करने और बिना चेंज आफ लैंड यूज यानि सीएलयू भवन निर्माण करने के मामले में बरती कोताही
कालका /पंचकुला
वर्ष 1999-2000 में एक स्कूल, जिसका नाम बाल भारती स्कूल था, जो कालका के हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में खोला गया था, के पास पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ाने की सरकारी मान्यता प्राप्त थी. जिसकी मान्यता का पंजीकृत नम्बर 1/2000409-458 था, जो 09.03.2000 में दर्ज किया गया था।
उपरोक्त स्कूल वर्ष 2003 में हरियाणा सरकार के नए नियमानुसार उसके मालिक द्वारा बन्द कर दिया गया था। हरियाणा सरकार द्वारा लागू नए नियमों के अनुसार यह बात स्पष्ट तौर पर कही गई थी कि जो प्राईमरी स्कूल घरों में या छोटी-छोटी जगहों पर चल रहे हैं, उन्हें बन्द किया जाए और अगर कोई अपने स्कूल चलाना चाहते हैं तो उन्हें कम से कम 5000 वर्ग गज जगह में खोलने होंगे.
यह स्कूल 2003 से 2013 तक बन्द पड़ा रहा और सन् 2013 में उपरोक्त स्कूल को कालका-टगरा हंसुआ में दुबारा गैर-कानूनी ढंग से, बिना किसी अनुमति के एक नई सोसायटी द्वारा खोला गया, जिसका नाम “बाल विकास परिषद् एजुकेशन सोसायटी” है ।
उपरोक्त स्कूल हरियाणा सरकार के नियमों व कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए सन् 2013 से 2022 तक गांव टगरा हंसुआ में इस जगह को टगरा-कालका बता कर 10 साल तक चलाया गया। यह स्कूल “बाल विकास परिषद् एजुकेशन सोसायटी द्वारा किस आधार पर, किस की अनुमति से, किन परिस्थितियों में चलाया गया, जबकि सोसायटी ने स्कूल का स्थान (कालका से टगरा हंसुआ) बदलने की कोई अनुमति सरकार से नहीं ली थी। अभिभावकों को गुमराह कर दुकानदारी चलती रही।
बाल भारती स्कूल कालका को जो मान्यता पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक अलॉट हुई थी, 2003 में स्कूल बन्द होने पर कथित मान्यता स्कूल प्रशासन को वापिस क्यों नहीं की, इसका स्कूल प्रशासन के पास कोई भी जवाब नहीं है व उक्त मान्यता सन् 2013 में नई सोसायटी किस आधार पर इस्तेमाल कर रही है, इसका भी स्कूल प्रशासन के पास कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं है।
इस मामले में स्कूल प्रशासन व बाल विकास परिषद् एजुकेशन सोसायटी की कर्ताधर्ता पूनम शर्मा की आपस में मिलीभगत की भूमिका उजागर हुई और उसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया। सन् 2020 में यह स्कूल कालका-टगरा से गांव नग्गलभागा में स्थानान्तरित किया गया, जिसकी अनुमति मौलिक शिक्षा निदेशालय द्वारा दी गई जो कि सम्पूर्ण गैर-कानूनी ढंग से बिना किसी असल तथ्य को जांचे बिना, मिलीभगत के चलते दी गई।
बाल भारती स्कूल कालका को जो मान्यता पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक अलॉट हुई थी, 2003 में स्कूल बन्द होने पर कथित मान्यता स्कूल प्रशासन को वापिस क्यों नहीं की, इसका स्कूल प्रशासन के पास कोई भी जवाब नहीं है व उक्त मान्यता सन् 2013 में नई सोसायटी किस आधार पर इस्तेमाल कर रही है, इसका भी स्कूल प्रशासन के पास कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं है। अब यह मामला जिला प्रशासन के हर वीरवार को लगने वाले दरबार में भी उठ चुका है. जब पूनम शर्मा से बात करने की कोशिश की गई तो उनके पति गौतम ने कहा, मामला केवल जमीन की तकसीम का है परंतु वह अन्य सवालों के जवाब देने में इनकार करते रहे।
उक्त स्कूल गांव नग्गलभागा में सन् 2022 से चल रहा है जो हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग के नियमों की अनदेखी करते हुए स्कूल प्रशासन के साथ मिलीभगत करके चलाया जा रहा है। सन् 2023 में इसी जमीन के मुशतरका हिस्सेदार देवेन्द्र कुमार के शिकायत करने पर डिस्ट्रिक एलिमेंट्री ऐजुकेशन ऑफिसर पंचकूला ने उपरोक्त स्कूल को तत्कालीन स्थिति में ही बन्द करने के आदेश दिए थे, परंतु सिर्फ देवेन्द्र कुमार को दिलासा देने के लिए जारी किया गया था, परन्तु स्कूल अभी भी चल रहा है।
यहां पर यह बताना भी उचित होगा कि उपरोक्त स्कूल को भवन निर्माण करने की कोई अनुमति “जिला टाऊन प्लानर, पंचकूला” व कंट्री टाऊन प्लानर चण्डीगढ़ से प्राप्त नहीं है। इस बाबत देवेन्द्र कुमार ने उपरोक्त दोनों विभागों में सन् 2022 से अब तक ढेरों शिकायतें की हैं, परन्तु उपरोक्त दोनों विभाग आंखें मूंद करके बैठे हैं व कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
स्कूल के भवन निर्माण की कोई अनुमति आज तक स्कूल को प्राप्त नाहीं है, यह दावा देवेन्द्र कुमार ने पत्रकार वार्ता में किया बिना अनुमति के स्कूल प्रशासन किसी भी स्कूल को भवन निर्माण करने व बच्चों को पढ़ाने की मान्यता नहीं दे सकता है, लेकिन आज मौका पर यह स्कूल पहली कक्षा से 8वीं कक्षा तक चल रहा है, जिसकी शिकायत करने पर भी स्कूल प्रशासन व उपरोक्त विभागों ने आज तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई है।
अब यह मामला जिला प्रशासन के हर वीरवार को लगने वाले दरबार में भी उठ चुका है. जब पूनम शर्मा से बात करने की कोशिश की गई तो उनके पति गौतम ने कहा, मामला केवल जमीन की तकसीम का है परंतु वह अन्य सवालों के जवाब देने में इनकार करते रहे।