फतेहाबाद: न्यायालय में लंबित मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र, सस्ते व सुलभ न्याय लोगों को मिलता है जहां किसी पक्ष की हार नहीं होती। वहीं राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों की सुनवाई के फैसलों की कहीं कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।
यह जानकारी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के चेयरमैन एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया ने शनिवार को जिला मुख्यालय पर न्यायिक परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत करते हुए दी। राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण व हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा जारी शैड्यूल अनुसार जिला व उपमंडल पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
इस दौरान नागरिकों को अपने कोर्ट में लंबित मामलों का समाधान लोक अदालत के माध्यम से करवाने की अपील करते हुए सेशन जज डीआर चालिया ने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से लोगों का बिना समय व पैसा गवाएं केसों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार गरीबों व समाज के कमजोर वर्गों के लिए निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है।
आपसी सहमति से हल होने वाले केसों में कारगर सिद्ध हो रही है राष्ट्रीय लोक अदालत : सीजेएम समप्रीत कौर
सीजेएम समप्रीत कौर ने बताया कि आपसी सहमति से हल होने वाले मामलों में राष्ट्रीय लोक अदालत बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही हैं और राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है, जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती। सीजेएम समप्रीत कौर ने पैनल अधिवक्ताओं से भी कहा है कि वे नागरिकों के कोर्ट में लंबित मामलों का निपटान लोक अदालत के माध्यम से करवाने के लिए जागरूक करें।