बद्दी/विपुल मित्तल: बिरला नाम संस्कार का प्रतीक था, क्योंकि देश में आजादी के बाद टाटा और बिरला दो कम्पनियों ने देश को बहुत कुछ दिया। लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में स्थापित बिरला टेक्सटाइल कंपनी के संस्कारों को धूमिल करने में लगी है। कभी देश को बहुत कुछ देने वाली यह कंपनी अब पर्यावरण, समाज और लोगों की दुश्मन बन गई है। बिरला टेक्सटाइल बद्दी का प्रबंधन वर्ग न जाने क्यों ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे पर्यावरण और लोगों को नुकसान हो। सीईटीपी केंदुवाला से कनेक्ट होने के बाबजूद भी बिरला टेक्सटाइल उद्योग यूनिट-2 द्वारा टैंकरों से गन्दा पानी बाहर भेजा जा रहा है। वहीं जो टैंकर ठेकेदार द्वारा उद्योग से निकलने वाले गंदे केमिकल युक्त पानी को आईपीएच की सीवरेज लाइन में डिस्चार्ज कर रहा है। यह सीवरेज लाईन नीचे जाकर बाल्द नदी में गिर रही है और नदी के पानी को दूषित कर रही है।
बाल्द नदी क्षेत्र की जीवनदायिनी नदी है जिसके पानी को प्रवासी कपड़े धोने के लिए, किसान के पशु पानी पीने के लिए ओर कुछ नदी किनारे के किसान इस पानी को सिंचाई के लिए भी प्रयोग करते हैं। ऐसे में बिरला टेक्सटाईल उद्योग से निकलने वाले टैंकरों द्वारा बाल्द नदी में जहर घोला जा रहा है जो पर्यावरण, किसानों और लोगों के लिए जानलेवा है।
बिरला टेक्सटाइल उद्योग में सुबह 6 बजे टैंकर घुसते हैं और 9 बजे तक हजारों लीटर गंदा पानी बाहर डिस्चार्ज करते है। जब मीडिया टीम को इसकी सूचना मिली तो टीम ने एक ऑपेरशन किया जिससे बिरला टेक्सटाईल की काली करतूत से पर्दा उठ गया। सूचना के बाद प्रदूषण विभाग बद्दी के एसडीओ ने जब उस स्थान का दौरा किया जहां टैंकर खाली हो रहे थे तो उनके भी होश उड़ गए। गलत तरीक़े से पाइप को सीवरेज लाइन से जोड़ा गया था और वह सीवरेज लाइन सीधे बाल्द नदी में जा रही थी। मौके का निरीक्षण करने के बाद विभाग की टीम ने उद्योग का भी दौरा किया। उधर प्रदूषण विभाग ने मामले की जांच शुरू करते हुए बिरला टेक्सटाईल को नोटिस भी जारी कर दिया है। जांच के उपरांत क्या कार्रवाई अमल में लाई जाती है यह जल्द साफ हो जाएगा।