मोहाली: पंजाब में मोहाली पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में चल रहे सट्टे के दो कॉल सेंटर पकड़े हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोह है। इनका मास्टर सर्वर दुबई में हैं। आरोपी अब तक 18 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं। वहीं, यह भी पता चला है कि खातों से पैसा निकालकर हवाला के जरिए विदेश भेजा गया है। खातों में आया 86 प्रतिशत पैसा बाहर जा चुका है। पुलिस द्वारा आठ लोगों को अरेस्ट किया गया है। अरेस्ट किए गए लोग महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। आरोपियों के कब्जे से पांच लैपटॉप, 51 मोबाइल, 70 सिम कार्ड, 127 एटीएम कार्ड और ढाई लाख रुपए बरामद हुए हैं। राजस्थान का रहने वाला मास्टरमाइंड विजय फरार चल रहा है। मोहाली के एसएसपी हरमनदीप सिंह हंस ने बताया कि आरोपियों पर ठगी और आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
8 महीने से चल रहा था कारोबार
पुलिस के मुताबिक, आरोपी काफी शातिर थे। गिरोह के सदस्य करीब आठ महीने से यहां कारोबार चला रहे थे। किसी को शक न हो, इसलिए नामी रिहायशी सोसाइटियों से अपना कारोबार चला रहे थे और हर दो से तीन महीने के बाद फ्लैट बदल लेते थे। पुलिस अब यह पड़ताल कर रही है कि आरोपी कहां-कहां मकान किराए पर फ्लैट ले चुके हैं। उन्होंने किसी तरह कोई रेंट एग्रीमेंट किया था या नहीं। पुलिस सभी बैंक खातों को भी फ्रीज करने में लगी है।
यह 8 आरोपी पुलिस ने अरेस्ट किए
1. पंकज गोस्वामी – राजस्थान के हनुमानगढ़ निवासी 2. भावेन कुमार उल्के – नागपुर, महाराष्ट्र निवासी 3. गुरप्रीत सिंह – राजस्थान के हनुमानगढ़ निवासी 4. मनजीत सिंह – निवासी टिब्बी, राजस्थान 5. निखिल कुमार- निवासी जौनपुर, बिहार 6. अजय निवासी टिब्बी, राजस्थान 7. हर्ष कुमार – मध्य प्रदेश के निवासी 8. रितेश माझी – निवासी सुभाष चौक, मध्य प्रदेश
सारे आरोपी ग्रेजुएट, कई लोगों को ठगा
पुलिस के मुताबिक, सभी आरोपी ग्रेजुएट पास हैं। वहीं, पुलिस अब इन सभी के इलाकों से इनके बारे में जानकारी मांग रही है। जो भी पैसा इनके खाते में आता था, उससे रोजाना निकालते रहते थे। इन लोगों ने इंडियन समेत कई विदेशी लोगों को भी ठगा है।
मोटी सेलरी के लालच में रखा स्टाफ
आरोपी युवाओं को मोटी सेलरी का लालच देकर नौकरी पर रखते थे। वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कॉल सेंटर व इंटरनेशनल बीपीओ कंपनी में नौकरी का विज्ञापन निकालते थे। इसके बाद वह अपने साथ युवाओं को काम पर रख लेते थे और उनके जरिए धंधा करवाते थे। जबकि कुछ पीछे होकर गेम खेलते थे। सारा काम कंपनी की तरह होता था, जिससे किसी को संदेह नहीं होता था।